Friday, June 19, 2020

देस्ती क्या है? (podcast)


रिश्तों में रिश्ता है दोस्ती का रिश्ता - लेकिन दोस्ती क्या है? 

खलील गिबरान को पढ़ेंगे तो दोस्ती में मक्सद नहीं होता, सिर्फ प्यार होता है, 
वो भी ऐसा जो जीना सिखाए, मिठास और खुशियों को बांटने वाला प्यार, 
दोस्ती वो एहसास है, जिसमें बिछड़ जाने का दुख नहीं 
दौबारा मिलने की आस है, 
दोस्त वो जो एक दूसरे को जाने पहचाने
बिन मांगे वो देने को तैयार है, 
बिन सोचे वो आपके साथ है, 
वो आईना है आपकी गलतियों का 
वो साथ भी है बचपन की शरारतों का, 
दिल का सूकून है उसकी बातों में,
लेकिन फिर भी ना कोई वादा है, न दावा है 
खलील कहते हैं दोस्ती जरूरत है, मगर बंधन नहीं। 

महान फिलोसफर एरिस्टॉटल ने भी दोस्ती पर अपने विचार रखे हैं, 
उनका कहते हैं एक अच्छी ज़िन्दगी में बा मानी और सदा के लिए रहने वाली दोस्ती का होना ज़रूरी है। 
उनके हिसाब से दोस्ती तीन तरह की होती है 
- दो किसी घटना या परिस्थिती से जन्म लेती है और तीसरी खूबियों और अच्छाई से। 
पहली है ज़रूरत के लिए की गई दोस्ती, यहां प्यार नहीं है, 
सिर्फ फायदा उठाना परम है, बड़ी उम्र के लोग अक्सर इसी तरह की दोस्तियां करते हैं, 
ये दोस्ती कम और व्यापार ज्यादा है। अगर आपने महाभारत देखी या सुनी है तो करण और दुर्योधन की दोस्ती इसी का उदाहरण है। 

दूसरी दोस्ती होती है बचपन की, शरारतों की दोस्ती, इसकी भी उम्र ज्यादा नहीं होती। अब इसका मतलब ये कतेई नहीं है की बचपन की दोस्ती चलती या टिकती नहीं है। ये दरअसल ऐसी दोस्ती है जो, वक्ति तौर पर खुशी पाने के लिए की जाती है। जब आदमी के विचार बदलते हैं, या फिर वो उस चीज़ की तरजीह देना बंद कर देता है। तो ये अपना अस्तित्व खोने लगती है। 

तीसरी तरह की दोस्ती सबसे खूब होती है। इसे बनने में समय लगता है क्यों की ये अच्छाइयों, खूबियों पर और दिल की गहरायों पर बड़ी होती है। इसे कहते हैं - friendship of the Good - जिसका आधार दोस्त की अच्छाइयों को जानना और उन्हें सरहाना है, उसकी गलतियों से उसे उबारना है, बड़े ज़र्फ और भरोसे से इस तरह की दोस्ती में दोस्त आगे ही बढ़ते हैं और बहतर ही करते हैं। इसमें जो ज़रूरत पूरी होती है और जो खुशी मिलती है वो पहली दो तरह की दोस्तियों से नहीं मिलती। 

अब आप सोचें कौन सी दोस्ती आपकी ज़िन्दगी में कैसी है और आप उसपर किताना समय और दिमाग लगाना चाहेंगे। क्यों की दिल तो सिर्फ एक ही तरह की दोस्ती में लगता है। और हां, प्यार दोस्ती नहीं, दोस्ती प्यार है फर्क पर गौर करें। प्यार तो हर रिश्ते का आधार है। वो अलग से कोई रिश्ता नहीं , हां अक्सर हम प्यार से जुड़े संबंधों को रिश्तों में बदल देते हैं। प्यार सर्वोतम है। किसी एक के लिए नहीं, कुछ के लिए नहीं सभी के लिए, पूरी धरती के लिए। और अच्छी और सच्ची दोस्ती की नीव है प्यार। 
 

No comments:

Post a Comment