जिंदगी रोज नए अहसासों से रूबरू कराती है। हर पल एक नए मोड़ पर ला खड़ा कर देती है। अपने दिल दिमाग की उलझी तारों को सुलझाने का मौका भी नहीं देती और एक नया कट्टा खोल देती है।
रसोई में पूरियां तल रही थी, रात के खाने में पूरी आलू बने थे उनकी फर्माइश पर। लेकिन अचानक उनके मन में खयाल आया, और बोले " हम लोग बहुत तला हुआ खाना खाने लगे हैं" वो समझ नहीं पाई, बिना ज्यादा मन पर लीए, पूरियां तलती रही। कुछ देर बाद बेटी को खाना परोसते हुए, वो फिर बोले, ये आलू ठीक नहीं बने हैं, टमाटर लगता है कच्चे हैं। वो फिर उलझी लेकिन आलू चख कर देखे तो ठीक थे।
अब बारी उनके खाने की थी। रसोई में घूमते घामते एक दराज बंद करते वक्त उनकी उंगली दराज़ के बीच आगई। एक दम से पूरियां तल तलते उसके मूं से निकला "ध्यान से बंद करो, उसके बीच में क्यों उंगली रख रहे हो"। बस फिर क्या था, दोश उस कपड़े पर मड़ा गया जिसपर पूरियां रखीं थीं। दो तीन लाइने और कहीं गईं। और जब वो बोली की "उसकी क्या गलती है" तो कहा गया कि उससे फिक्र की तवक्को थी, हिदायत की नहीं। फिर एक बांड़ छोड़ा गया। "सबको झेलने की बात करती हो, पहले मुझे झेलने की आदत डालो।"
लोग कहते हैं शादी करना इसलिए जरूरी है क्यों की जिंदगी में एक साथ की जरूरत है। कई लोग सोचते हैं दोस्त से बढ़िया साथ क्या होगा और दोस्त से शादी कर लेते हैं। कुछ ये भी कहते हैं कि दोस्ती की अंत है शादी। इसपर बहस हो सकती है। लेकिन एक सच जो कोई नहीं झुटला सकता वो है - दो लोग - जब दो लोग न रह कर दो या एक अहम बन जाते हैं, घर, परिवार, जिम्मेदारियां और सोच उनपर हावी हो जाती है, तो जिंदगी एक धीमी नदी की तरह बहती रहती है। पत्थरों से टकराती, थोड़ा लड़ती झगड़ती चली रहती है।
उसमें मिठास खोजने के तरीके तलाशने का साहस किभी किसी एक को कभी दोनों को दिखाना होगा। हर कही गई लाइन को, हर शब्द को अनाह का मसला नहीं बनाने होगा। रिश्तों की डोर बड़ी नाजुक होती है, इसमें कई परतें होती हैं, ये एक सीधा सा एहसासों पर बना धागा नहीं है। ये वो रस्सी है जिसके कई धागे समय के साथ टूटते हैं पर हम कपड़ा बांध बांध कर उनहें पट्टी करते हैं। अक्सर इस तरह लोग इस रस्सी को हमेशा के लिए बचाए रखते हैं। जब तक कोई एक इसकी आग में जल कर राख न हो जाए। ये ठीक है, या नहीं मैं नहीं जानती। लेकिन दुनिया, समाज और परिवार की नजरों में यही सही है।
ऐसे में अपनी एक छोटी सी दुनिया बनाना बेहद जरूरी है। वो दुनिया जो तुम पर विश्वास करे, वो दुनिया जो तुमहें तुमहारे लिए जाने, जहां तुमहें सूकून और उर्जा मिले। किताबों में, बच्चों में, लिखने में, काम काज में जहां भी लेकिन एक अपनी छोटी सी दुनिया बनाएं।
रसोई में पूरियां तल रही थी, रात के खाने में पूरी आलू बने थे उनकी फर्माइश पर। लेकिन अचानक उनके मन में खयाल आया, और बोले " हम लोग बहुत तला हुआ खाना खाने लगे हैं" वो समझ नहीं पाई, बिना ज्यादा मन पर लीए, पूरियां तलती रही। कुछ देर बाद बेटी को खाना परोसते हुए, वो फिर बोले, ये आलू ठीक नहीं बने हैं, टमाटर लगता है कच्चे हैं। वो फिर उलझी लेकिन आलू चख कर देखे तो ठीक थे।
अब बारी उनके खाने की थी। रसोई में घूमते घामते एक दराज बंद करते वक्त उनकी उंगली दराज़ के बीच आगई। एक दम से पूरियां तल तलते उसके मूं से निकला "ध्यान से बंद करो, उसके बीच में क्यों उंगली रख रहे हो"। बस फिर क्या था, दोश उस कपड़े पर मड़ा गया जिसपर पूरियां रखीं थीं। दो तीन लाइने और कहीं गईं। और जब वो बोली की "उसकी क्या गलती है" तो कहा गया कि उससे फिक्र की तवक्को थी, हिदायत की नहीं। फिर एक बांड़ छोड़ा गया। "सबको झेलने की बात करती हो, पहले मुझे झेलने की आदत डालो।"
लोग कहते हैं शादी करना इसलिए जरूरी है क्यों की जिंदगी में एक साथ की जरूरत है। कई लोग सोचते हैं दोस्त से बढ़िया साथ क्या होगा और दोस्त से शादी कर लेते हैं। कुछ ये भी कहते हैं कि दोस्ती की अंत है शादी। इसपर बहस हो सकती है। लेकिन एक सच जो कोई नहीं झुटला सकता वो है - दो लोग - जब दो लोग न रह कर दो या एक अहम बन जाते हैं, घर, परिवार, जिम्मेदारियां और सोच उनपर हावी हो जाती है, तो जिंदगी एक धीमी नदी की तरह बहती रहती है। पत्थरों से टकराती, थोड़ा लड़ती झगड़ती चली रहती है।
उसमें मिठास खोजने के तरीके तलाशने का साहस किभी किसी एक को कभी दोनों को दिखाना होगा। हर कही गई लाइन को, हर शब्द को अनाह का मसला नहीं बनाने होगा। रिश्तों की डोर बड़ी नाजुक होती है, इसमें कई परतें होती हैं, ये एक सीधा सा एहसासों पर बना धागा नहीं है। ये वो रस्सी है जिसके कई धागे समय के साथ टूटते हैं पर हम कपड़ा बांध बांध कर उनहें पट्टी करते हैं। अक्सर इस तरह लोग इस रस्सी को हमेशा के लिए बचाए रखते हैं। जब तक कोई एक इसकी आग में जल कर राख न हो जाए। ये ठीक है, या नहीं मैं नहीं जानती। लेकिन दुनिया, समाज और परिवार की नजरों में यही सही है।
ऐसे में अपनी एक छोटी सी दुनिया बनाना बेहद जरूरी है। वो दुनिया जो तुम पर विश्वास करे, वो दुनिया जो तुमहें तुमहारे लिए जाने, जहां तुमहें सूकून और उर्जा मिले। किताबों में, बच्चों में, लिखने में, काम काज में जहां भी लेकिन एक अपनी छोटी सी दुनिया बनाएं।
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