मेरा फेवरेट टॉपिक है ये...जिंदगी। हर पल नई, हर पल बदलती, कभी हंसती, कभी चीखती - खुशी से या दुख में, कभी मायूस, तो कभी बदगुमा खुद से, कभी माशरे से। भागती दौड़ती, रोती गाती लगातर चल रही है।
लेकिन जिंदगी में रोज घटती छोटी छोटी कहानियों में कई बार एक बात बार बार होती है। लोग इसे मोहब्बत भी कहते हैं। लेकिन में इसे मोहबब्त नहीं कह सकती, क्यों की मोहबब्त तो दोनो तरफ से होता है, तभी पूरी मानी जाती है। ये तो पसंद है, एक ऐसी पसंद जो आपको सुकून देती है। जो आपके एहसासों को जगाती है। जो आपकी जिंदगी के इंद्रधनुश को पूरा करती है। इसे एक तरफा प्यार भी कह सकते हैं। इसमें जो मजा है न वो दुनिया की किसी और चीज़ में नहीं।
कब, कहां, किससे हो जाए आप नहीं कह सकते। और अक्सर ये होता है उन लोगों से जो आपकी पहुंच से कोसों दूर होते हैं। लेकिन फिर भी आप उनसे एक अजीब सा जुड़ाव महसूस करते हैं। किसी की आवाज़, किसी का अंदाज, किसी की आंखें, किसी का चहरा दिलो दिमाग पर छा जाता है। और अपकी शांती और सूकन का सबब बन जाते हैं।
ऐसा ही हुआ है, मेरे साथ एक बार फिर - एक समय था जब शाहरुख खान से मुझे इस तरह का लगाव था। और पिछले कुछ सालों में मैंने पाकिस्तीनी ड्रामें देखने शुरू किए हैं। और सच मानिए वहां ऐसे ऐसे फनकार हैं की एक नहीं आप एक साथ कईओं पर दिल हार बैठते हैं।
शुरू करें फवाद खान से पहुंचे मिकाल जुलफिकर पर और फिर पिछले एक आद साल में Ahad Raza Mir, Ahmed Ali Akbar जैसे अदाकारों ने अपने अदाकारी के बेपरवाह अंदज, अपनी बातों और किरदारों से यहां मेरी ही नहीं कई और चाहने वालों की नींदें उड़ा दी हैं। सर्हद के उस पर रहने वाले ये बाशिंदे जो सर्हदों को मिटा दिलों को चीर कर उनमें रहने की साख रखता है।
उनके ड्रामों में प्यार का वो रुप देखने मिलता है, जो मुझे लड़कपन के दिनों में ले जाता है। वो तड़प, वो इंतहां, वो जलन, वो बेफिकरी, वो मासूमियत, वो ठहराव प्यार के हर पहलू को वो बड़ी आसानी से छूते हैं। दूर झिलमिलाते इन सितारों से ये एक तरफा प्यार.....मेरे हिसाब से बार बार होना चाहिए...ताकी जिंदगी में मीठास घुली रहे, और दिल बचपन से जुड़ा रहे।
लेकिन जिंदगी में रोज घटती छोटी छोटी कहानियों में कई बार एक बात बार बार होती है। लोग इसे मोहब्बत भी कहते हैं। लेकिन में इसे मोहबब्त नहीं कह सकती, क्यों की मोहबब्त तो दोनो तरफ से होता है, तभी पूरी मानी जाती है। ये तो पसंद है, एक ऐसी पसंद जो आपको सुकून देती है। जो आपके एहसासों को जगाती है। जो आपकी जिंदगी के इंद्रधनुश को पूरा करती है। इसे एक तरफा प्यार भी कह सकते हैं। इसमें जो मजा है न वो दुनिया की किसी और चीज़ में नहीं।
कब, कहां, किससे हो जाए आप नहीं कह सकते। और अक्सर ये होता है उन लोगों से जो आपकी पहुंच से कोसों दूर होते हैं। लेकिन फिर भी आप उनसे एक अजीब सा जुड़ाव महसूस करते हैं। किसी की आवाज़, किसी का अंदाज, किसी की आंखें, किसी का चहरा दिलो दिमाग पर छा जाता है। और अपकी शांती और सूकन का सबब बन जाते हैं।
ऐसा ही हुआ है, मेरे साथ एक बार फिर - एक समय था जब शाहरुख खान से मुझे इस तरह का लगाव था। और पिछले कुछ सालों में मैंने पाकिस्तीनी ड्रामें देखने शुरू किए हैं। और सच मानिए वहां ऐसे ऐसे फनकार हैं की एक नहीं आप एक साथ कईओं पर दिल हार बैठते हैं।
शुरू करें फवाद खान से पहुंचे मिकाल जुलफिकर पर और फिर पिछले एक आद साल में Ahad Raza Mir, Ahmed Ali Akbar जैसे अदाकारों ने अपने अदाकारी के बेपरवाह अंदज, अपनी बातों और किरदारों से यहां मेरी ही नहीं कई और चाहने वालों की नींदें उड़ा दी हैं। सर्हद के उस पर रहने वाले ये बाशिंदे जो सर्हदों को मिटा दिलों को चीर कर उनमें रहने की साख रखता है।
उनके ड्रामों में प्यार का वो रुप देखने मिलता है, जो मुझे लड़कपन के दिनों में ले जाता है। वो तड़प, वो इंतहां, वो जलन, वो बेफिकरी, वो मासूमियत, वो ठहराव प्यार के हर पहलू को वो बड़ी आसानी से छूते हैं। दूर झिलमिलाते इन सितारों से ये एक तरफा प्यार.....मेरे हिसाब से बार बार होना चाहिए...ताकी जिंदगी में मीठास घुली रहे, और दिल बचपन से जुड़ा रहे।
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